विज्ञान भैरव तंत्र – ५

विज्ञान भैरव तंत्र – ५ (९२-९३)

९२ .”चित को ऐसी अव्‍याख्‍य सूक्ष्‍मता में अपने ह्रदय के ऊपर, नीचे और भीतर रखो।”
92. PUT MINDSTUFF IN SUCH INEXPRESSIBLE FINENESS
ABOVE, BELOW AND IN YOUR HEART.

९३ “अपने वर्तमान रूप का कोई भी अंग असीमित रूप से विस्‍तृत जानो।”
93. CONSIDER ANY AREA OF YOUR PRESENT FORM
AS LIMITLESSLY SPACIOUS.